J
10. कार्तिक की हँसमुख सुबह।
नदी-तट से लौटती गंगा नहाकर सुवासित भीगी हवाएँ
सदा पावन माँ सरीखी
अभी जैसे मंदिरों में चढ़ाकर खुशरंग फूल
ठंड से सीत्कारती घर में घुसी हों,
और सोते देख मुझको जगाती हों
सिरहाने रख एक अंजलि फूल हरसिंगार के,
नर्म ठंडी उँगलियों से गाल छूकर प्यार से,
बाल बिखरे हुए तनिक सँवार के।
दिए गए पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क) 'हँसमुख सुबह' से क्या तात्पर्य है?
(ख) समीर को ‘माँ सरीखी'-क्यों कहा गया है?
(ग) सदा पावन 'माँ सरीखी' में कौन-सा अलंकार है?
(घ) 'ठंड से सीत्कारती घर में घुसी हों'–कथन में माँ और हवा दोनों में क्या समानता है?
(ङ) सुबह को हँसमुख कहने में भाषा का क्या सौंदर्य है?
Answers
Answered by
1
Answer:
this is explained your sir please i don't know dis questions please
Similar questions