जुआ खेले होत है सुख सम्पत्ति का नास,राज काज नल ते छूट्यो पांडव करे बनवास
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जुआ खेले होत है सुख सम्पत्ति का नास,राज काज नल ते छूट्यो पांडव करे बनवास |
इए पंक्तियों में कवी नें बहुत कुछ समझाने का प्रयास किया है | कवी नें यह सपष्ट किया है की जुआ एक बहुत ही बुरी आदत है जुआ खलने से कभी भी किसी का भला नहीं हुआ है |
जुआ खेलने से सुख सम्पति का नाश होता है अर्थात जुआ खेलने घर में जो धन होता है वह खत्म हो जाता है और घर धन के अभाव में घर में लडाई - झगडे होते हैं और परिवार को कई प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है |
इसी जुए के कारण ही पांडवओं को अपना राज-पाठ सब खोना पडा था | और इसी कारण वनवास पर जाना पड़ा और इसी कारण उनकी माँ और पत्नी को भी उनके साथ वनवास जाना पड़ा, वनवास के दौरान उन्हें कई प्रकार की यातनाएँ सहनी पड़ी थी | महाभारत के युद्ध के बारे में तो हम सब जानते ही हैं | महाभारत के युद्ध का मूल कारण भी जुआ ही था | अगर सुखी जीवन व्यतीत करना है तो खुद को जुए की बुरी आदत से दूर रखें |