जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर।सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर।"प्रस्तुत पंक्तियों में "भृगुबंसमनि"किसे कहा गया है?
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भावार्थ:-इन्हें (धनुष-बाण और कुठार को) देखकर मैंने कुछ अनुचित कहा हो, तो उसे हे धीर महामुनि! क्षमा कीजिए। यह सुनकर भृगुवंशमणि परशुरामजी क्रोध के साथ गंभीर वाणी बोले
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