Hindi, asked by sanyambirmiwal2007, 14 days ago

'जेब टटोिी कौडी न पयई।' इस पांजक्त कय भयर् स्पष्ट कीजजए।​

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Answered by Adrika708
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जेब टटोली कौड़ी न पाई। भाव यह है कवयित्री इस संसार में आकर सांसारिकता में उलझकर रह गयी और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल न हुआ। लेखिका ने प्रभु के पास पहुँचने के लिए कठिन साधना चुनी परंतु उससे इस राह से ईश्वर नही मिला।

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