'जेब टटोिी कौडी न पयई।' इस पांजक्त कय भयर् स्पष्ट कीजजए।
Answers
Answered by
0
जेब टटोली कौड़ी न पाई। भाव यह है कवयित्री इस संसार में आकर सांसारिकता में उलझकर रह गयी और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल न हुआ। लेखिका ने प्रभु के पास पहुँचने के लिए कठिन साधना चुनी परंतु उससे इस राह से ईश्वर नही मिला।
Similar questions