Hindi, asked by jincybeji2019, 8 months ago

"जेब टटोला कौड़ी न पाई"- इन पंक्तियों का क्या अर्थ है ? ​

Answers

Answered by aviral008
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\pink{\huge{\umderline{\underline{उत्तर}

कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पड़कर कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कह रही है। मनुष्य जब सांसारिक भोगों को पूरी तरह से त्याग देता है तब उसके मन में अंहकार की भावना पैदा हो जाती है।

Answered by Anonymous
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Answer:

आखिर में जब भक्त की नाव को भगवान पार लगा देते हैं तो वह कृतध्न होकर उन्हें कुछ देना चाहता है। लेकिन भक्त की श्रद्धा की पराकाष्ठा ऐसी है कि उसे लगता है कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ उसने जीवन में पाया वो सब तो भगवान का दिया हुआ है। वह तो खाली हाथ इस संसार में आया था और खाली हाथ ही वापस गया।

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