Hindi, asked by utkarshsingh2550, 6 months ago

जेब टटोली कौड़ी न पाई मांझी को क्या दूं​

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Answered by shraddha837
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Answer:

जेब टटोली कौड़ी न पाई। न खाकर बनेगा अंहकारी। (क) कवयित्री कहती है कि इस संसार में आकर वह सांसारिकता में उलझकर रह गयी और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल न हुआ अब उसे चिंता सता रही है कि भवसागर पार करानेवाले मांझी अर्थात् ईश्वर को उतराई के रूप में क्या देगी।

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