'जेब टटोली कौड़ी न पाई। माझी को दूँ ,क्या उतराई?'
प्रस्तुत पंक्ति किस कविता से ली गई है?
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prastut pankti kaksha 9 ke hindi me kshitiz ke vakh se li gyi h
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इस पंक्ति में यह कहा गया है कि जब कवयत्रि ने आत्मविस्लेषण किया तो उन्हे कुछ अपने अंदर अच्छा ना दिखा जो वे माझी यानि ईश्वर को दे सकें।
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