जेब टटोली, कौड़ी न पाई' - पंक्ति के माध्यम से कवयित्री क्या कहना चाहती हैं?
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कवित्री को अनुभव होता है कि वह जीवन भर हठ योग –साधन करती रही , किंतु कोई सफलता ना मिल सकी । उसके जेब खाली हो रही ।
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जेब टटोली कौड़ी न पाई' के माध्यम से कवयित्री यह कहना चाहती है कि हठयोग, आडंबर, भक्ति का दिखावा आदि के माध्यम से प्रभु को प्राप्त करने का प्रयास असफल ही होता है। इस तरह का प्रयास भले ही आजीवन किया जाए पर उसके हाथ भक्ति के नाम कुछ नहीं लगता है। भवसागर को पार करने के लिए मनुष्य जब अपनी जेब टटोलता है तो वह खाली मिलती है।
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