जो भी करता प्यार वो, पा लेता है प्यार,
प्यार नकद का काम है, रहता नहीं उधार।
जरे-जर्रे में खुद, कण-कण में भगवान,
लेकिन 'जरे' को कभी, अलगन 'कण' से मान।
इसीलिए हम प्यार की, करते साज-सम्हार,
नफरत से नफरत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार। likhkar
ka bhavarth likho
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nice thought it is very good
GOOD morning
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नोब हे तू बॉडी बुलाइंशसुषांसुसिसणसिस्ने
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