जो चल रहा है उसके पाँव में ज़रूर छाला होगा,
बिना संघर्ष के चमक नहीं मिलती,
जो जल रहा है तिल-तिल, उसी दीए में उजाला होगा
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hi mam 6e55353hrhr
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रख हौसला, वो मंज़र भी आएगा
प्यासे के पास चल के, समंदर भी आयेंगा
थक कर ना बैठ, ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा
मंजिल उन्ही को मिलती है
जिनके सपनो में जान होती है
पंख से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है
रख हौसला, वो मंज़र भी आएगा
प्यासे के पास चल के, समंदर भी आयेंगा
थक कर ना बैठ, ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
मन्ज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे
हर गाम पे शिकस्त ने यूँ हौसला दिया
जिस तरह साथ साथ कोई हमसफ़र चले
तमाम उम्र अज़ाबों का सिल-सिला तो रहा
ये ग़म नहीं हमें जीने का हौसला तो रहा
बेबसी जुर्म है हौसला जुर्म है
ज़िन्दगी तेरी एक एक अदा जुर्म है