French, asked by Meghasah231, 5 months ago

जोडा मिलाऊ:
(क) देवकुमारी थापाको जन्मस्थान
(ख) पहिलो नेपाली बाल पत्रिका
(ग) मानवको मुख्य कर्तव्य
(घ) देवकुमारीले तिस वर्षसम्म सेवा गरेको संस्था
(ङ) विराट साहित्य संस्था
बाल मन्दिर
अध्यक्ष
भविष्य
खरसाङ
सेवा
हिमाल किशोर​

Answers

Answered by santoshmishrasaps202
1

Answer:

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Answered by Anonymous
20

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कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (अक्टूबर 2015)

बाल पत्रकारिता की सुदीर्घ परम्परा को एक आलेख में समेटना निश्चय ही अंजलि में समुद्र भर लेने के समान है। बाल साहित्य की अनेक पत्रिकाएँ विगत पचास वर्षों में प्रकाशित हुई हैं। इन प्रकात्रिओं का सही-सही विवरण दे पाना एक दुरूह कार्य है। बाल साहित्य की पत्रिकाओं में कुछ पत्रिकाएँ तो लम्बे समय से प्रकाशित हो रही हें, परन्तु अधिकतर पत्रिकाएँ काल-कविलत हो गईं। उनके पुराने अंक खोजना कठिन ही नहीं, असम्भव-सा कार्य है। फिर भी जिन पत्रिकाओं का विवरण उपलब्ध हो सका है, उन्हें इस आलेख में समाहित किया जा रहा है।

बाल पत्रकारिता का इतिहास

बाल पत्रकारिता का औपचारिक प्रारम्भ भारतेन्दु काल से माना जा सकता है। १८८२ में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की विशेष प्रेरणा एवं अभिस्र्चि से 'बाल दपर्ण' पत्रिका का इलाहाबाद से प्रकाशन हुआ। इसके बाद भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने 'बाला बोधिनी' पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इन पत्रिकाओं में नैतिक मूल्यों को केन्द्र में रखकार उपदेशात्मक बाल साहित्य प्रकाशित हुआ। इन आरम्भिक बाल पत्रिकाओं के बाद निरन्तर बाल साहित्य की पत्रिकाएँ प्रकाशित होती रहीं। १८९१ में लखनऊ से 'बाल हितकर' पत्रिका प्रकाशित हुई। १९०६ में अलीगढ़ से 'छात्र हितैषी' पत्रिका प्रकाशित हुई। इसी वर्ष १९०६ में ही बनारस से 'बाल प्रभाकर' पत्रिका का प्रकाशन हुआ। १९१० में इलाहाबाद से 'विद्यार्थी' पत्रिका प्रकाशित हुई। १९१२ में 'मानीटर' पत्रिका नरसिंहपुर से प्रकाशित हुई।

बाल पत्रिकारिता के क्षेत्र में नए युग का प्रारम्भ

बाल पत्रिकारिता के क्षेत्र में नए युग का प्रारम्भ 'शिशु' पत्रिका से हुआ। १९१४-१५ में 'शिशु' पत्रिका के प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसके संपादन पं.सुदर्शनाचार्य थे। 'शिशु' पत्रिका के प्रकाशन के कुछ समय उपरान्त एक ऑर उत्कृष्ट पत्रिका ने बाल साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण किया। इस पत्रिका ने बाल साहित्य के क्षेत्र में क्रांति ला दी। १९१७ में बंगालियों की प्राइवेट लिमिटेड संस्था 'इंडियन प्रेस' ने 'बालसखा' पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इसके संपादक पं.बदरीनाथ भट्ट थे।

१९४७ में देश स्वतंत्र हुआ। व्यवस्था परिवर्तित हुई। ऐसे में साहित्य के क्षेत्र में भी एक मोड़ आया। बाल साहित्य में देश प्रेम, खुशी ओर उल्लास से लबालब साहित्य पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगा भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने स्वतंत्रता प्राप्ति से 'बालभारत'का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। यह पत्रिका अद्यतन निरन्तर अत्यन्त लोकप्रिय बनी हुई है। १९४८ में पंजाब से 'प्रकाश' नामक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। १९४९ में दिल्ली से 'अमर कहानी' एवं इलाहाबाद से 'मनमोहन' पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ, परन्तु दुर्भाग्य से कुछ अंक निकल कर ये दोनों पत्रिकाएँ काल के गाल में समा गईं।

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