Hindi, asked by pranyapushkar, 2 months ago


जाड्यं धियो हरति मिञ्चति वापिसत्य
मानोन्नति दिशाति पापम् अपाळराति
चेत प्रसादयति दिल तनौतिकी ति
सत्सङ्गतिःकाय कि नकरोति पुसामा.. translate in Hindi​

Answers

Answered by aliasingh15
0

Answer:

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं ,

Pravin Agrawal, Dec 15, 2014, 21:54 IST 27K

आध्यात्मिक डायरी में जोड़ें।

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति | चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ||

1/3

1

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति | चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ||

अर्थात्: अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जड़ता को हर लेता है ,वाणी में सत्य का संचार करता है, मान और उन्नति को बढ़ाता है और पाप से मुक्त करता है | चित्त को प्रसन्न करता है और ( हमारी )कीर्ति को सभी दिशाओं में फैलाता है |(आप ही ) कहें कि सत्संगतिः मनुष्यों का कौन सा भला नहीं करती |

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं , मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति | चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ||

Similar questions