जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष
निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष । इस पंक्तियों का तात्पर्य लिखित
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Answer:
प्रस्तुत पंक्ति में देवसेना की वेदना का परिचय मिलता है। वह स्कंदगुप्त से प्रेम कर बैठती है परन्तु स्कंदगुप्त के हृदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। जब देवसेना को इस सत्य का पता चलता है, तो उसे बहुत दुख होता है। वह स्कंदगुप्त को छोड़कर चली जाती है। उन्हीं बीते पलों को याद करते हुए वह कह उठती है कि मैंने प्रेम के भ्रम में अपनी जीवन भर की अभिलाषाओं रूपी भिक्षा को लुटा दिया है। अब मेरे पास अभिलाषाएँ बची ही नहीं है। अर्थात् अभिलाषों के होने से मनुष्य के जीवन में उत्साह और प्रेम का संचार होता है। परन्तु आज उसके पास ये शेष नहीं रहे हैं।
Explanation:
यह पंक्तियां हमें अपने देश की रक्षा करने को उत्साहित करती हैं इन का तात्पर्य है कि हम जिए. तो सिर्फ भारतवर्ष के लिए यह हमारा अभिमान हो कि हम भारतवर्ष की रक्षा के लिए जी रहे हैं इसमें हमारी खुशी हो हम इसके लिए कुछ भी नियोछावर कर दें यह हमारा प्यारा भारतवर्ष है