जागो बंसीिारे ललना!
जागो मोरे प्यारे!
रजनी बीती, भोर भयो िै, घर-घर िुलेककंिारे।
गोपी दिी मथत, सुननयत िैंकंगना के झनकारे॥
उठो लालजी! भोर भयो िै, सुर-नर ठाढ़े द्िारे।
ग्िाल-बाल सब करत कुलािल, जय-जय सबद उचारै ॥
मािन-रोटी िाथ माँि लीनी, गउिन के रििारे।
मीरा के प्रभुथगरधर नागर, सरण आयााँको तारै॥ which poem in class 7 hindi book leeaon necart book
Answers
जागो बंसीवारे ललना!
जागो मोरे प्यारे!
रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।
गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।
उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढे़ द्वारे।
ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।
माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।
अर्थ : यशोदा बालक श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास कर रही हैं। वह बालक श्रीकृष्ण से कह रही हैं, हे मोहन प्यारे! राज दुलारे! रात बीत गई है, अब सुबह हो गई है, जाग जाओ। अब घर के द्वार पर साधु-संत खड़े हैं। सभी ग्वाल-बाल शोर मचा रहे हैं, तुम्हारी जय जयकार कर रहे हैं। वह मकान और रोटी हाथ में लेकर गायों की रखवाली के लिए जा रहे हैं और बाहर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। गोपियां माखन को मथने लगी हैं और इस कारण उनके हाथ के कंगन बज रहे हैं, जिनसे मधुर ध्वनि उत्पन्न हो रही है।
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Answer:
ch 16
Explanation:
Ch 16 of class 7 Hindi भोर और बरखा