Hindi, asked by alexmorgan, 6 months ago

जंगलू के फलदार वृझा का बदन कगें दुखता या ?​

Answers

Answered by viramrajbhar22
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Explanation:

बालदह

३८५ | हे तात ! मैं तुम्हारी बलि जाती हूँ; मुनि की कृपा से ईश्वर ने वहुत-सी बलाओं को टाल दिया। दोनों भाइयों ने यज्ञ की रखवाली करके गुरुजी के प्रसाद से सब विद्यार्थे प्राप्त कीं ।। राम मुनि तिय तरी लगत पग धूरी छ कीरति रही भुवन भरि पूरी कमठ पीठि पवि कूट कठोरा ॐ नृप समाज महुँ सिव धनु तोरा |. तुम्हारे चरण की धूलि लगने से मुनि की स्त्री अहल्या तर गई। यह कीर्ति विश्व-भर में पूर्ण रीति से भर रही है। कछुए की पीठ, बज्र और पर्वत से भी कठोर शिवजी के धनुष को राज-समाज में तुमने तोड़ दिया, म विस्व विजय जसु जानकि पाई के आये भवन व्याहि सब भाई | सकल अमानुष करम तुम्हारे ॐ केवल कौसिक कृपाँ सुधारे हैं (राम) विश्व-विजय करने की कीर्ति और जानकी को तुमने पाया और सब भाइयों राम की को व्याहकर घर आये। तुम्हारे सभी कर्म मनुष्य की शक्ति के बाहर के हैं। केवल राम्रो विश्वामित्रजी की कृपा ने यह सब किया है। । आजु सुफल जग जनमु हमारा ॐ देखि तात विधु बदन तुम्हारा है। जे दिन गये तुम्हहिं विनु देखें 8 ते बिरछि जनि पारहिं' लेखें हे पुत्र ! तुम्हारा चन्द्र-सुख देखकर आज हमारा संसार में जन्म लेना * सफल हुआ। जो दिन तुमको बिना देखे बीते हैं, ब्रह्मा उनको गिनती में न लायें, ( हमारी आयु में न जोड़े )। है - राम प्रतोषी मातु सब कहि विनीत बर बैन । ए 15 सुमिरि सम्लु गुर बिग्र पद किये नींद बस तैन॥३५७ एम् रामचन्द्रजी ने विनययुक्त श्रेष्ठ वचन कहकर सब माताओं को सन्तुष्ट * किया । फिर शिव, गुरु और ब्राह्मण के चरणों का स्मरण कर नेत्रों को नींद के * होम, वश किया ।। हैं नींदहु बदन सोह सुठि लोना" ॐ मनहुँ साँझ सरसीरुह सोना घर घर करहिं जागरन नारीं ॐ देहिं परसपर मङ्गल गारी गुमा * नींद में भी उनका लावण्यमय मुख ऐसा सुन्दर लगता है, मानो सन्ध्या | १. डालें, लायें । २. सुन्दर । ३. लाल ।

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