जागने और सोने से कबीर का क्या आशय है ? साखी के आधार पर स्पष्ट कीजिए
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कबीर के अनुसार वह व्यक्ति दुखी है जो हमेशा भोगविलास और दुनियादारी में उलझा रहता है। जो व्यक्ति सांसारिक झंझटों से परे होकर ईश्वर की आराधना करता है वही सुखी है। यहाँ पर 'सोने' का मतलब है ईश्वर के अस्तित्व से अनभिज्ञ रहना। ठीक इसके उलट, 'जागने का मतलब है अपनी मन की आँखों को खोलकर ईश्वर की आराधना करना।
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