जो जाको गुन जानही, सो तिहि आदर देत। कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी लेत॥
akshatsingh574:
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जो जाको गुन जानही, सो तिहि आदर देत। कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी लेत॥
वृंद का जन्म (१६४३-१७२३ ई. ) बीकानेर में सेवक जाति के परिवार में हुआ था।
जो व्यक्ति जिस के गुणों को जानता है वह उसी के गुणों का आदर सम्मान करता है
ex, एक बन्दर फलों के गुणों को जानता हैं तथा फलों का आदर सम्मान करते हैं
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प्रस्तुत पंक्तिया हमारी हिंदी पाठ्य-पुस्तक के पाठ दोहा ली से ली गई है। इसके रचयिता वृंद जी है। उन्होने इस दोहे के माध्यम से हमे तह सीख दी है कि समाज में कैसे व्यवहार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होने नीति संबंधी शिक्षा भी दी है।
वे कहते है कि जो जिसके गुण को जानता है वह उसे ही आदर व सम्मान देता है जैसे कोयल आम के गुण को जानती और कौआ नीम के कड़वे फल को। अर्थात हम उसी को सम्मान देंगे जिसके गुण को हम पहचान सकेंगे।
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