जिजीविषा की विजय माठ में
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जिजीविषा की विजय पाठ की कहानी से सिद्ध होता है कि मन की मजबूती के आगे हर बाधा छोटी हो जाती है। मेरी जिंदगी में भी एक ऐसा अनुभव रहा है जब मैंने अपनी संकल्प शक्ति से उस बाधा पर विजय पाई थी।
विद्यालय में गर्मियों की छुट्टियां थी । मैं और मेरा एक दोस्त घूमने एक बाग में चले गए। हम बातें करते हुए जा रहे थे कि हमें पता भी नहीं चला कि जिस भूमि पर हम चल रहे हैं वह एक दलदल वाली भूमि है। तभी अचानक में दलदल में धंस गया। मेरे दोस्त ने मुझे निकालने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहा। वह सहायता के लिए लोगों को बुलाने गया तब तक में कमर तक दलदल में धस चुका था लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने पूरा निश्चय किया कि मैं इस दलदल से बाहर निकलूंगा तभी मेरे हाथ एक लकड़ी लगी जिसके सहारे में भरपूर कोशिश करने के बाद दलदल से बाहर निकल आया तभी मेरा दोस्त भी लोगों को लेकर पहुंच गया। मुझे दलदल से बाहर देख कर सभी लोगों ने मेरा उत्साहवर्धन किया। और मैंने जीवन में सीख ली कि मजबूत इच्छाशक्ति के आगे कोई भी काम असंभव नहीं है.
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