"जूझ" पाठ के पात्र 'दत्ताजी राव देसाई' ने लेखक के जीवन को कैसे प्रभावित किया? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
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‘जूझ’ कहानी में ‘दत्ता राव देसाई’ लेखक के जीवन को बहुत प्रभावित किया। दत्ता राव देसाई गाँव के प्रभावशाली व्यक्ति थे। वे बेहद समझदार थे और गांव में उनका प्रभाव था। हर कोई ग्रामीण उनकी बात आसानी से मान जाता था। जब लेखक आनंदा में पढ़ाई के प्रति रुचि जागृत हुई, लेकिन आनंदा के पिता अशिक्षित होने के कारण लेखक को पाठशाला नहीं भेजना चाहते थे और खेती के कार्य में ही लगाना चाहते थे। ऐसे में लेखक ने दत्ता राव जी देसाई के पास जाकर अपनी समस्या कही तो दत्ता राव जी देसाई ने लेखक के पिता को बुलाकर समझाया और डाँटा। उन्होंने लेखक के पिता को पढ़ाई का महत्व समझाकर आनंदा को पाठशाला भेजने के लिए राजी किया। इस तरह दत्ता राव जी देसाई के प्रयास के कारण ही लेखक का पाठशाला जाना संभव हो पाया और उसका जीवन संवर पाया। इसलिए दत्ताराव देसाई ने लेखक के जीवन को बहुत अच्छे स्तर पर प्रभावित किया।
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आपके खयाल से पढाई - लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का ? तर्क सहित उत्तर दें।
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