Hindi, asked by gsaikedar7709, 9 months ago

जाके मुँह माथा नहीं, नाहिं रूप कुरूप |पुहुप बास थैं पातरा, ऐसा तत्व अनूप ।।  meaning of this doha in Hindi??​

Answers

Answered by bhatiamona
0

जाके मुँह माथा नहीं, नाहिं रूप कुरूप |पुहुप बास थैं पातरा, ऐसा तत्व अनूप ।।

इस दोहे काअर्थ है:

भावार्थ = कबीरदास जी ब्रह्म अर्थात ईश्वर के निराकार स्वरूप का बखान करते हुए कहते हैं कि ब्रह्म यानि ईश्वर तो निर्गुण और निराकार है। उसके ना तो कोई मुंह है, और ना ही उसका कोई रूप है। वह ना तो सुंदर है ना ही कुरूप। उसे छुआ भी नहीं जा सकता लेकिन महसूस किया जा सकता है। वह फूल की सुगंध के पतला है और सर्वत्र व्याप्त है, जिसकी सुगंध सर्वत्र महसूस की जा सकती है, ऐसा व अनुपम तत्व है।

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►

https://brainly.in/question/5456804

लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल लाली देखन में गयी में भी हो गयी लाल. रस भेद बताए व्याख्या के साथ।

Similar questions