जी की मूर्ति पर चश्मा बदल बदल कर कौन रखता था? विचार करके बताइए वह ऐसा क्यों करता था?
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उस मूर्ति पर का चश्मा कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह एक लंगड़ा बूढ़ा सा आदमी है जिसके माथे पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में छोटी - सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बांस पर बहुत से चश्मे लिए गली गली बेचता फिरता है क्यों कि उसके पास दुकान नहीं था।
उस मूर्ति पर का चश्मा कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह एक लंगड़ा बूढ़ा सा आदमी है जिसके माथे पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में छोटी - सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बांस पर बहुत से चश्मे लिए गली गली बेचता फिरता है क्यों कि उसके पास दुकान नहीं था।वह ऐसा बार बार करते रहता था जब उससे मूर्ति पर के चश्मे की ज़रूरत पड़ती थी तो वह उससे उतारकर नया वाला लगा देता था।
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उस मूर्ति पर का चश्मा कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह एक लंगड़ा बूढ़ा सा आदमी है जिसके माथे पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में छोटी - सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बांस पर बहुत से चश्मे लिए गली गली बेचता फिरता है क्यों कि उसके पास दुकान नहीं था।
उस मूर्ति पर का चश्मा कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह एक लंगड़ा बूढ़ा सा आदमी है जिसके माथे पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में छोटी - सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बांस पर बहुत से चश्मे लिए गली गली बेचता फिरता है क्यों कि उसके पास दुकान नहीं था।वह ऐसा बार बार करते रहता था जब उससे मूर्ति पर के चश्मे की ज़रूरत पड़ती थी तो वह उससे उतारकर नया वाला लगा देता था।