Hindi, asked by joshisumitsam6, 3 months ago

जा
कहती
वलकी
बैनीज्यो

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मेया कनहिं बढ़ेगी चोटी
कीली बार मोहै दुध पियती
भाई यह अजुही है चौटी तू जा कहती बल की बेनी ज्यों
है लांबी माही​

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Answered by sujeetrana7370
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भावार्थ :-- (श्यामसुन्दर कहते हैं-) `मैया ! मेरी चोटी कब बढ़ेगी ? मुझे दूध पीते कितनी देर हो गयी पर यह तो अब भी छोटी ही है । तू जो यह कहती है कि दाऊ भैया की चोटी के समान यह भी लम्बी और मोटी हो जायगी और कंघी करते, गूँथते तथा स्नान कराते समय सर्पिणी के समान भूमि तक लोटने (लटकने) लगेगी (वह तेरी बात ठीक नहीं जान पड़ती)। तू मुझे बार-बार परिश्रम करके कच्चा (धारोष्ण) दूध पिलाती है, मक्खन-रोटी नहीं देती ।'(यह कहकर मोहन मचल रहे हैं ।) सूरदास जी कहते हैं कि बलराम घनश्याम की जोड़ी अनुपम है, ये दोनों भाई चिरजीवी हों ।

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