जो ख्वाब हो तो बसेरे करो मिली कालिंदी कूल कदंब की डारन का आशय क्या है
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जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन। यहाँ पर रसखान ने ब्रज के प्रति अपनी श्रद्धा का वर्णन किया है। चाहे मनुष्य का शरीर हो या पशु का; हर हाल में ब्रज में ही निवास करने की उनकी इच्छा है। यदि मनुष्य हों तो गोकुल के ग्वालों के रूप में बसना चाहिए।
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