Hindi, asked by pathaksachin0019, 5 months ago

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।2।।​

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Answered by utkarsh110706
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Answer:

इस दोहे में रहीम दास जी ने मछली के जल के प्रति घनिष्ट प्रेम को बताया है। वो कहते हैं मछली पकड़ने के लिए जब जाल पानी में डाला जाता है तो जाल पानी से बाहर खींचते ही जल उसी समय जाल से निकल जाता है। परन्तु मछली जल को छोड़ नहीं सकता और वह पानी से अलग होते ही मर जाता है।

Answered by yug1323joker
0

Answer:

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।

रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।2।।

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