Hindi, asked by kiranchoubey, 1 year ago

जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह​।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह॥
tell me meaning of the above doha
What is the inner meeting of this dohe.

Answers

Answered by amanjotsingh80
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धन्य है मीन की अनन्य भावना! सदा साथ रहने वाला जल मोह छोड़कर उससे विलग हो जाता है, फिर भी मछली अपने प्रिय का परित्याग नहीं करती, उससे बिछुड़कर तड़प-तड़पकर अपने प्राण दे देती है।
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