जालीरामजी के पौत्र का क्या नाम था?
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पोकरणा राठौड़ :- मल्लिनाथ के पुत्र जगमाल के जिन वंशजो का पोकरण इलाके में निवास हुआ।वे पोकरणा राठोड़ कहलाये इनके गाँव सांकडा , सनावड़, लूना ,चौक , मोडरड़ी , गुडी आदी जैसलमेर में है। जगमाल भी बड़े वीर थे । गुजरात का सुल्तान तीज पर इक्कठी हुयी लड़कियों को हर ले गया । तब जगमाल अपने योधाओं के साथ गुजरात गए और सुल्तान की पुत्री गीदोली का हरण कर लाया तब राठौड़ों और मुसलमानों में युद्ध हुआ । इस युद्ध में जगमाल ने बड़ी वीरता दिखाई । कहा जाता है की सुल्तान की बीबी को तो युद्ध में जगह - जगह जगमाल हि दिखयी दिया ।
प्रस्तुत दोहा
पग-पग नेजा पाड़ीया, पग -पग पाड़ी ढाल।
बीबी पूछे खान ने, जंग किता जगमाल ।।
पोकरणा राठौड़ो का पीढी क्रम ईस प्रकार है-
1 - रावल जगमाल जी - रावल मल्लिनाथ जी (मंडलीक) - राव सलखा जी
2 - रावल खींव्सी - रावल जगमाल - रावल मल्लिनाथ (मंडलीक) - राव सलखा जी
3 - रावल भारमल - रावल जगमाल - रावल मल्लिनाथ (मंडलीक) - राव सलखा जी
4 - रावल माँढण - रावल भारमल - रावल जगमाल - रावल मल्लिनाथ (मंडलीक)
– राव सलखा जी
5 - रावल खीमुं - रावल भारमल - रावल जगमाल - रावल मल्लिनाथ
(मंडलीक) - राव सलखा जी
महेचा राठौड़ ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
1. महाराज राजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
2. महाराज राजा महीचंद्र जी
3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
4. महाराज राजा मदनपाल जी (1154)
5. महाराज राजा गोविन्द्र जी
6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी (1162)
7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश 1193)
8. राव राजा सेतराम जी
9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान 1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1309)
12. राव राजा रायपाल जी (1313)
13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)
14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)
15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)
16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)
17. राव राजा सलखा जी (1374)
18. राव माला उर्फ राव मल्लीनाथ जी
19. राव जगमाल जी - राव जगमाल जी - उस समय अहमदाबाद पर महमूद बेग का शासन था,उसके राज्य में पाटण नाम का एक नगर उसका सूबेदार हाथीखान | पाटण नगर के अधीन ही एक गांव का तेजसिंह तंवर नाम का एक राजपूत रहवासी । तेजसिंह नामी धाड़ायती,दूर तक धाड़े (डाके) डालता,उसके दल में तीन सौ हथियार बंद वीर राजपूत | उसके नाम से करोडपति और लखपति कांपते थे | वह धनि व्यक्तियों के यहाँ डाका डालता और धन गरीबों में बाँट देता । गरीब ब्राह्मणों की कन्याओं के विवाह में खर्च करता,चारण कवियों को दिल खोलकर भेंट देता ।धनि व्यक्तियों को देखते ही नहीं छोड़ता पर गरीबों का पूरा पालन करता ।
पाटण के सूबेदार हाथीखान और उसके बीच अक्सर तलवारें बजती रहती थी । एक दिन तेजसिंह अपने साथियों के साथ डाका डालकर बहुत दूर से आ रहा था, उसका दल काफी थका हुआ था, वह अपने दल के साथ आराम कर रहा था कि पाटण के सूबेदार हाथीखान ने अपने दलबल सहित उसे आ घेरा । कोई डेढ़ दो घड़ी तलवारे बजी और तेजसिंह अपने तीन सौ राजपूतों के साथ कट कर लड़ता हुआ मारा गया |