'जुलूस' कहानी के पात्र बीरबल सिंह का चरित्र चित्रण लिखिए। plz ans this question as soon as possible
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Answer:
पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियाँ और झंडे लिये वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो उन्हें इस लक्ष्य से कोई सरोकार नहीं हैं, मानो यह कोई तमाशा है और उनका काम केवल खड़े-खड़े देखना है।
शंभूनाथ ने दूकान की पटरी पर खड़े होकर अपने पड़ोसी दीनदयाल से कहा-सब के सब काल के मुँह में जा रहे हैं। आगे सवारों का दल मार-मार भगा देगा।
दीनदयाल ने कहा-महात्मा जी भी सठिया गये हैं। जुलूस निकालने से स्वराज्य मिल जाता तो अब तक कब का मिल गया होता। और जुलूस में हैं कौन लोग, देखो-लौंडे, लफंगे, सिरफिरे। शहर का कोई बड़ा आदमी नहीं।
Explanation:
शुरुआत में बीरबल सिंह अंग्रेजी हुकूमत के प्रति वफादार था शुरुआत में वह स्वार्थी था अहिंसा के जुलूस पर उसने लाठियां बरसाई यह उसकी बर्बरता दिखाती है लेकिन बाद में उसके हृदय परिवर्तन होने से वह एक देश प्रेमी बन गया उसने अपना पश्चाताप भी किया