जूलिया की जगह आप होते ,तो...... विषय पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
प्रश्क।
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जूलिया की जगह यदि मैं होती तो इस विषय पर मेरे विचार यह होते , तो मैं डरती नहीं मैं ऐसे लोगों के खिलाफ में शिकायत दर्ज करवाती | अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना हमारा अधिकार है | अपनी मेहनत और हक़ की कमाई ले कर रहती | उन लोगों को सबक सिखाती जो लोग काम करवाने के बाद उन्हें पैसे नहीं देते |
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जूलिया की जगह मै होती तो अन्याय नहीं सहती, अपने अधिकार के लिए मै लड़ती।
- मै जूलिया की जगह होती तो अन्याय कभी न सहती, जिस प्रकार पाठ में जूलिया का वर्णन किया गया है उससे यह स्पष्ट होता है कि जूलिया बहुत सीधी सादी व डरपोक स्त्री है।
- अन्याय सहना भी एक प्रकार का अपराध ही है। यदि कोई परिश्रम करता है तो उसकी एवज मै उसे वेतन मिलना चाहिए।
- मै कार्य शुरू करने से पहले ही वेतन के संबंध में सारी बातें कर लेती व कार्य समाप्त होने पर यदि वेतन देने में आनाकानी की जाती या कुछ झूठे कारण बताकर वेतन कम किया जाता तो मै इसका विरोध अवश्य करतीं । मै अपना परिश्रमिक हासिल करके ही रहती।
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