जिम्मी तथा उलमा कोन थे । लिखिए इतिहास 12वी कला
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद या जमीयत उलमा-ए-हिंद ( उर्दू : جمعیت علمائے ہند, हिंदी: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, अनुवाद: भारतीय इस्लामी विद्वानों का संगठन ) भारत में अग्रणी इस्लामी संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना 1919 में शेख उल हिंद मौलाना महमूद अल-हसन, मौलाना सय्यद हुसैन अहमद मदनी, मौलाना अहमद सईद देहल्वी, मुफ्ती मुहम्मद नईम लुधियानी, मौलाना अहमद अली लाहोरी, शेख उल तफसीर प्रोफेसर नूर उल हसन खान गजाली, मौलाना बशीर अहमद भट्टा, मौलाना सय्यद गुल बादशा, मौलाना हिफजुर रहमान सेहरवी, मौलाना अनवर शाह कश्मीरी, मौलाना अब्दुल हक मदानी, मौलाना अब्दुल हलीम सिद्दीकी, मौलाना नूरुद्दीन बिहारी और मौलाना अब्दुल बरारी फिरंगी मेहली। [1] मुफ्ती किफायतुल्ला संगठन के पहले राष्ट्रपति चुने गए थे।
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