जुम्मन शेख का चरित्र चित्रण
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जुम्मन शेख चरित्र चित्रण
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में बहुत ही गहरी मित्रता थी। दोनों मिलकर खेती करते थे। उनका लेन-देन भी आपस में सांझा होता था। उनका एक दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे तो उन्होंने अपना घर अलगू को सौंप दिया था और अलगू जब कभी बाहर जाता तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ जाता था। उन दोनों में न खानपान न धर्म से कोई नाता था केवल उनके विचार मिलते थे। जुम्मन वैसे तो मिलनसार व्यक्ति था परंतु उसने अपनी खाला के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जिस कारण उसको पंचों की सहायता लेनी पड़ी थी। इसलिए जो मन को एक लालची आदमी भी कहा जा सकता है जिसे धन का बहुत लालच था। पंचायत में जब अर्जुन ने उस का पक्ष नहीं लिया तो वह बहुत क्रोधित हो गया और वह अपनी मित्रता भूल गया और उससे बदला लेने के बारे में सोचने लगा। जब वह पंच बना तो उसने अल्गों का पक्ष लिया क्योंकि वह अपनी जगह सही था उसमें यह अच्छाई थी कि उसने अपनी शत्रुता को बुलाकर सच्चाई और ईमानदारी का साथ देने का निश्चय किया था।
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प्रेमचंद की लघुकथा: पंच परमेश्वर
अलगू चौधरी पंच परमेश्वर कहानी का पात्र है | पंच परमेश्वर कहानी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई लघुकथा है | यह कहानी दो मित्रों के बिच की है |
एक ही गाँव के दो व्यक्ति अलगू चौधरी और जुम्मन सेख की है। दोनों में से एक हिन्दू धर्म के और दूसरा मुस्लिम धर्म के हैं। फिर भी दोनों के बीच काफी गहरी मित्रता थी |
जुम्मन शेख का चरित्र चित्रण
जुम्मन एक मिलनसार व्यक्ति था। परन्तु उसने अपनी खाला के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। जिसके कारण उसे पंचों की सहायता लेनी पड़ी। इसलिए जुम्मन एक लालची आदमी कहा जा सकता है। जिसे धन का लोभ था।