जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। दोनों को एक-दूसरे पर अटल
विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गए थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गए थे। अलगू जब कभी बाहर
जाते तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न तो खानपान का व्यवहार था और न धर्म का नाता, केवल
विचार मिलते थे। मित्रता का मूलमंत्र भी यही है। जुम्मन शेख की एक बूढी खाला थी। उसके पास कुछ
थोड़ी-सी मिलकियत थी, परंतु उसके निकट संबंधियों में कोई न था। जुम्मन ने लंबे-चौड़े वायदे करके वह
मिलकियत अपने नाम लिखवा ली थी। जब तक दानपत्र की रजिस्ट्री न हुई थी, तब तक खाला का खूब
आदर-सत्कार किया गया। पर रजिस्ट्री की मुहर ने इन खातिरदारियों पर भी मानो मुहर लगा दी।
इस कहानी शीर्षक क्या है?
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अंध विस्वास के पात्र
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क्योकी जुम्मन ने धोका दिया
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usska shirshak Justice above self
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