जामुन का पेड़ व्यवस्था के भ्रष्टाचार की पोल किस प्रकार खोलता है ?
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➲ ‘जामुन का पेड़’ व्यवस्था के उस भ्रष्टाचार की पोल खोलता है कि कैसे आम आदमी की जिंदगी सरकारी अधिकारी कितने संवेदनशील होते हैं, जो आम आदमी की जिंदगी की कीमत नहीं समझते। किसी आम आदमी की जिंदगी दांव पर लगने पर भी फाइलों में ही उलझे रहते हैं। शायर जब जामुन के पेड़ के नीचे दब गया तो सचिवालय के अधिकारियों ने उसे तुरंत पेड़ के नीचे से निकालने के प्रयास नहीं करके कागजी कार्यवाही पूरी करने में इतना समय निकाल दिया कि उस आदमी की मौत हो गई और जब उसे निकालने की बारी आई तब तक वह अपने प्राण गवाँ चुका था यानी उसे न्याय मिलने में देरी हुई यदि वे अधिकारी तुरंत ही जामुन के पेड़ को हटाने की कोशिश करते तो शायद उस व्यक्ति की जान बच जाती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और पहले फाइल करने में ही लगे रहे और जब तक फैसला आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। ये कहानी व्यवस्था की संवेदनहीनता और पाखंड को दर्शाती है।
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