Science, asked by soaravkumar0420, 2 months ago


जीमूतवाहनस्य याः सर्वग कथ प्रथितम् only and

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Answered by Anonymous
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एक बार मन में विचार आया कि अधुना बच्चों को संस्कृत और संस्कृति के बारे में ज्ञान देने का कोई साधन ही नहीं है | स्कूल में पढ़ाया नहीं जाता और जो पढ़ाया जाता है वह छद्म-पंथ-निरपेक्ष है यानि कि ऋणात्मक हिंदुत्व है जो कि वास्तव में भारतीय संस्कृति की आत्मा है | माँ-बाप को स्वयं ही ज्ञान नहीं है और यदि है तो वे आगे अगली पीढ़ी को देना नहीं चाहते (अन्यान्य कारणों से) | एक पंजाबी बच्ची जब मेरे पास पढ़ने आई तो पता चला उसे गुरु गोविन्द सिंह का ही पता नहीं था , कौन थे ? हतभाग्य !! बन्दा वीर बहादुर......?? वासुदेव बलवंत फड़के ??.........उफ्फ

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