जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
इस कथन को आधार बना कर एक कहानी लिखिए एक सौ पचास शब्द की
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वेदप्रकाश गुप्त, संतकबीर नगर
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। संत कबीरदास की धरती मानों उन्हीं के दोहे को दोहरा रही है। हालांकि दोहे का अर्थ होता है, जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते। वादों, दावों के बीच मगहर आज भी विकास के लिए तरस रहा है।
यहां मौजूद रोजगार के संसाधन और यातायात की सुविधा को और बेहतर किए जाए तो यह क्षेत्र विकसित हो सकता है। नगर पंचायत मगहर में महान संत कबीर साहब की परिनिर्वाण स्थली व ऐतिहासिकता के कारण विश्व स्तर पर पहचान है। विकास की बात करें तो इसके बढ़ावा देने के लिये केंद्र और प्रदेश स्तर पर जो भी प्रयास किए गए वह पर्याप्त नहीं है।