Hindi, asked by somsing1977, 9 months ago

जॉन मेन्सफील्ड की सत्य के प्रति धारणा को उजागर कीजिए ।​

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Answered by priya61522
1

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HOPE THIS WILL HELP YOU .

PLEASE MARK IT AS BRAINLIST.

Explanation:

कैथरीन मैन्सफील्ड ((अंग्रेज़ी):Katherine Mansfield) (१४ अक्टूबर, १८८८ - ९ जनवरी, १९२३) न्यूज़ीलैण्ड मूल की अत्यधिक ख्यातिप्राप्त आधुनिकतावादी अंग्रेजी कहानीकार थी। बैंकर पिता तथा अपेक्षाकृत संकीर्ण स्वभाव वाली माता की पुत्री कैथरीन नैसर्गिक रूप से ही स्वच्छंद स्वभाव वाली हुई। परंपरागत रूप से स्त्रियों का अनिश्चित भविष्य वाला जीवन उसमें आरंभ से ही विद्रोह का बीज-वपन करते रहा। अपने जीवन को अपेक्षित मोड़ न दे पाने के कारण उसका स्वभाव असंतुलित और जीवन अव्यवस्थित होते रहा। आरंभ में जीवन की कठोरताओं ने उसकी रचनाओं को भी कटुता तथा तीखे व्यंग्य से पूर्ण बनाया। काफी समय तक वह जीवन में उत्तमता एवं व्यवस्था के औचित्य को स्वीकार नहीं कर पायी। काफी बाद में चेखव के प्रभाव से उसने लेखन के साथ लेखक के जीवन में भी अच्छाई का महत्व समझा। कैथरीन आधुनिकतावादी कहानीकार थी तथा अपनी रचनाओं की भावात्मक शैली एवं प्रयुक्त प्रतीकात्मकता को यथासंभव यथार्थवादिता से किनारा नहीं करने देती थी। इसके साथ ही उसकी रचनाओं में आद्यन्त विद्यमान पठनीयता भी अतिरिक्त वैशिष्ट्य प्रदान करती है।

Answered by snehalprints
2

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धर्म-अध्यात्म

सत्य का मार्ग ही जीवन की सफलता का मार्ग है

धर्म-अध्यात्म

सत्य का मार्ग ही जीवन की सफलता का मार्ग है

 3 years ago मनमोहन आर्य

मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है? इसके उत्तर में कह सकते हैं कि सत्य को जानना, समझना, उस पर गहनता से विचार करना, ऋषि दयानन्द सरस्वती आदि महापुरुषों के जीवन चरितों व उपदेशों का अध्ययन करना, ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति का सत्य ज्ञान कराने वाले वेद एवं सत्यार्थाप्रकाशादि ग्रन्थों को प्राप्त करना व उनका अध्ययन करना, यह सब करके संसार व जीवन विषयक सत्य का निर्धारण करना और उसका पालन करना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्रतीत होता है। एक वैदिक प्रार्थना बहुत प्रचलित है ’असतो मा सदगमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्माऽमृतम् गमय’। इसमें कहा गया है कि ‘हे सृष्टि बनाने, चलाने व इसकी प्रलय करने वाले परमात्मन् ! आप सत्य व असत्य को जानते हैं। आप हमें असत्य से हटा कर सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा करें। मैं असत्य का आचरण न करूं और जीवन में सदैव सत्य का ही आचरण करूं, सदा सत्य व प्रकाश के मार्ग पर ही चलूं और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त हो जाऊं।’ इस वैदिक प्रार्थना में जो कुछ कहा गया है, उससे कोई भी मनुष्य असहमत नहीं हो सकता। एक अन्य प्रार्थना जो देश का ध्येय वाक्य भी कह सकते हैं, वह है ‘सत्यमेव जयते’। इसका अर्थ है कि सत्य की ही सदा विजय होती है। सत्य कभी पराजित नहीं होता। अतः जिसकी सदा विजय हो और जो कभी पराजय को प्राप्त न हो, उसी को हमें मानना चाहिये व आचरण में लाना चाहिये।

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