Hindi, asked by arnavr027, 9 months ago

(ज) निम्नलिखित एकार्थी शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. ग्लानि
2. अमूल्य
3.बहुमूल्य
4. निमंत्रण
5.आमंत्रण
6. ईर्ष्या
7.द्वेष​

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Answered by bimlasinha0104
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I hope your problem solve

Answered by Anonymous
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समानार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थी शब्द :

• अगम – जहाँ न पहुँचा जा सके।

दुर्गम – जहाँ पहुँचना कठिन हो।

• अलौकिक – जो सामान्यतः लोक या दुनिया मेँ न पाया जाये।

अस्वाभाविक – जो प्रकृति के नियमोँ के विरुद्ध हो।

असाधारण – सांसारिक होकर भी अधिकता से न मिले, विशेष।

• अनुज – छोटा भाई।

अग्रज – बड़ा भाई।

भाई – छोटे-बड़े दोनों के लिए।

• अनुभव – व्यवहार या अभ्यास से प्राप्त ज्ञान।

अनुभूति – चिन्तन या मनन से प्राप्त आंतरिक ज्ञान।

• अनुरूप – समानता या उपयुक्तता का बोध होता है।

अनुकूल – पक्ष या अनुसार का भाव प्रकट होता है।

• अस्त्र – फेँककर चलाए जाने वाले हथियार।

शस्त्र – हाथ मेँ पकड़कर चलाए जाने वाले हथियार।

• अवस्था – जीवन का बीता हुआ भाग।

आयु – सम्पूर्ण जीवन काल।

• अपराध – कानून के विरुद्ध कार्य करना।

पाप – सामाजिक तथा धार्मिक नियमोँ के विरुद्ध आचरण।

• अनुरोध – आग्रह (हठ) पूर्वक की गई प्रार्थना।

आग्रह – हठ।

• अभिनन्दन – सराहना करना, बधाई।

अभिवन्दन – प्रणाम, नमस्कार करना।

स्वागत – किसी के आगमन पर प्रकट की जाने वाली प्रसन्नता।

• अणु – पदार्थ की सबसे छोटी इकाई।

परमाणु – तत्त्व की सबसे छोटी इकाई।

• अधिक – आवश्यकता से बढ़कर।

अति – आवश्यकता से बहुत अधिक।

पर्याप्त – जितनी आवश्यकता हो।

• अर्चना – मात्र बाह्य सत्कार।

पूजा – आन्तरिक एवं बाह्य दोनोँ सत्कार।

• अर्पण – छोटोँ द्वारा बड़ोँ को दिया जाना।

प्रदान – बड़ोँ द्वारा छोटोँ को दिया जाना।

• अमूल्य – जिस वस्तु का कोई मूल्य ही न आँका जा सके।

बहुमूल्य – अधिक मूल्यवान वस्तु।

• अशुद्धि – भाषा सम्बन्धी लिखने–बोलने की गलती।

भूल – सामान्य गलती।

त्रुटि – बड़ी गलती।

• असफल – व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है।

निष्फल – कार्य के लिए प्रयुक्त होता है।

अहंकार – घमण्ड, स्वयं को अत्यधिक समझना।

अभिमान – गौरव, दूसरोँ से श्रेष्ठ समझना।

• आचार – सामान्य व्यवहार, चाल–चलन।

व्यवहार – व्यक्ति विशेष के प्रति परिस्थिति विशेष मेँ किया गया आचरण।

• आनंद – खुशी का स्थायी और गंभीर भाव।

आह्लाद – क्षणिक एवं तीव्र आनंद।

उल्लास – सुख-प्राप्ति की अल्पकालिक क्रिया, उमंग।

प्रसन्नता – साधारण आनंद का भाव।

• आधि – मानसिक कष्ट।

व्याधि – शारीरिक कष्ट।

• आवेदन – अधिकारी से की जाने वाली प्रार्थना।

निवेदन – विनयपूर्वक की जाने वाली प्रार्थना।

• आशंका – अनिष्ट की कल्पना से उत्पन्न भय।

शंका – सन्देह।

• आविष्कार – नवीन वस्तु का निर्माण करना।

अनुसंधान – रहस्य की खोज करना।

अन्वेषण – अज्ञात स्थान की खोज करना।

• आज्ञा – बड़ोँ द्वारा छोटे को किसी कार्य को करने हेतु कहना।

अनुमति – स्वीकृति।

• आवश्यक – किसी कार्य को करना जरूरी।

अनिवार्य – कार्य जिसे निश्चित रूप से करना हो।

• आरम्भ – बहुत ही साधारण और सामान्य शुरुआत।

प्रारम्भ – ऐसी शुरुआत जिसमेँ औपचारिकता, महत्ता और साहित्यता हो।

• ईर्ष्या – दूसरे की उन्नति पर जलना।

द्वेष – अकारण शत्रुता।

स्पर्धा – एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना।

• उत्साह – निर्भीक होकर कार्य करना।

साहस – भय की उपस्थिति मेँ कार्य करना।

• उत्तेजना – आवेग।

प्रोत्साहन – बढ़ावा।

• उद्यम – परिश्रम, प्रवास।

उद्योग – उपाय, प्रयत्न।

• उपकरण – साधन।

उपादान – सामग्री।

• कष्ट – मुख्यतः शारीरिक पीड़ा।

क्लेश – मानसिक पीड़ा।

दुःख – सभी प्रकार से सामान्य दुःख को प्रकट करने वाला शब्द।

• कन्या – वह अविवाहित लड़की जो रजस्वला न हुई हो।

लड़की – सामान्य अविवाहित या विवाहित किसी की लड़की।

पुत्री – अपनी बेटी।

• कृपा – किसी का दुःख दूर करने का प्रयास।

दया – किसी के दुःख से प्रभावित होना।

संवेदना – अनुभूति जताना।

सहानुभूति – किसी के दुःख से प्रभावित होकर अपनी अनुभूति जताना।

• कृतज्ञ – उपकार मानने वाला।

आभारी – उपकार करने वाले के प्रति मन के भाव प्रकट करने वाला।

• खेद – सामान्य दुःख।

शोक – स्वजनोँ के अनिष्ट से होने वाला दुःख।

विषाद – निराशापूर्ण दुःख।

• तन्द्रा – हल्की नीँद।

निन्द्रा – गहरी नीँद।

• नक्षत्र – स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित आकाशीय पिण्ड।

ग्रह – सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित आकाशीय पिण्ड।

• नमस्कार – बराबर वाले के प्रति नम्रता प्रकट करने हेतु।

प्रणाम – अपने से बड़ोँ को अभिवादन या उनके प्रति नम्रता प्रकट करने के लिए प्रणाम का प्रयोग शब्द का प्रयोग किया जाता है।

नमस्ते – यह छोटे एवं बड़े सभी के लिए अभिवादन का प्रचलित शब्द है।

• प्रलाप – व्यर्थ की बात।

विलाप – दुःख मेँ रोना।

• परिणाम – किसी वस्तु का धीरे–धीरे दूसरा रूप धारण करना।

फल – किसी स्थिति के कारण उत्पन्न होने वाला लाभ।

• परिश्रम – सभी प्रकार की मेहनत को व्यक्त करने वाला शब्द।

श्रम – मात्र शारीरिक मेहनत।

• परामर्श – सलाह–मशविरा सूचक शब्द।

मंत्रणा – गोपनीय सलाह–मशविरा।

• प्रसिद्धि – बड़ाई।

ख्याति – विशेष प्रसिद्धि।

• पीड़ा – शारीरिक कष्ट।

वेदना – सामान्य अल्पकालिक हार्दिक दुःख।

व्यथा – गंभीर दीर्घकालिक मानसिक दुःख।

• पीछे – क्रम को सूचित करने वाला शब्द।

बाद मेँ – समय का भाव सूचित करने वारा शब्द।

• बहुत – ज्यादा (बिना तुलना के)।

अधिक – ज्यादा (तुलना मेँ)।

• भय – अनिष्ट के कारण मन मेँ उठा विचार (डर)।

आतंक – शारीरिक और मन मेँ उठा भय।

त्रास – भयवश होने वाला कष्ट।

यातना – दूसरोँ के द्वारा दिया गया कष्ट।

• भवदीय – आपका, तुम्हारा।

प्रार्थी – प्रार्थना करने वाला।

• भ्रम – किसी बात के लिए विषय गलत समझते हुए गलत धारणा बना लेना।

सन्देह – किसी के विषय मेँ निश्चय हो जाना।

• भागना – भयवश दौड़ना।

दौड़ना – सामान्यतः तेज चलना।

• भाषण – सामान्य व्याखान।

प्रवचन – धार्मिक विषय पर व्याख्यान।

• मनुष्य – मानव जाति के स्त्री-पुरुष दोनोँ का बोध कराने वाला शब्द।

पुरुष – मानव पुल्लिँग।

• मंत्री – परामर्श देने वाला।

सचिव – मंत्री के आदेश को प्रचारित करने वाला।

• मन – इन्द्रियोँ, विषयोँ का ज्ञान कराने वाला।

चित्त – चेतना का प्रतीक।

अन्तःकरण – सत्-असत्, उचित-अनुचित का ज्ञान कराने वाला।

• महाशय – इस शब्द का प्रयोग प्रायः साधारण लोगोँ के लिए किया जाता है।

महोदय/मान्यवर – इस शब्द का प्रयोग बड़े लोगोँ के लिए किया जाता है।

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