"जान से प्यारे" (ममता कालिया) एकांकी का सारांश तैयार कीजिये।
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मंजिल भी तो दूर नहीं यह विचार किस के मन में आ रहा हैमंजिल भी तो दूर नहीं यह विचार किस के मन में आ रहा है एक नंबर में
मंजिल भी तो दूर नहीं यह विचार किस के मन में आ रहा हैमंजिल भी तो दूर नहीं यह विचार किस के मन में आ रहा है एक नंबर में
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ममता कालिया का जन्म (02 नवम्बर,1940) को हुआ वे एक प्रख्यात भारतीय लेखिका, शिक्षक और कवि हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी भाषा में लिखती हैं। उन्होंने अपने उपन्यास दुखम सुक्खम के लिए 2017 में भारत के सबसे अमीर साहित्यिक पुरस्कारों में से एक व्यास सम्मान जीता।
"जान से प्यारे" (ममता कालिया) एकांकी का सारांश:
जान से प्यारे एकांकी का सारांश में उन्होंने पारिवारिक सम्बन्धो का एक ऐसा त्रासद पक्ष उजाकर किया है,जिसपर सहज विश्वास नहीं किया जा सकता। इसमें उन्होंने बताया है खून के रिश्ते भी लोभ लालच से परे नहीं है, ये रिश्ते जो हमें मोहित करते है की ये हमारा भाई है या बहन है ये सब मात्र दिखावा होता है, इसमें कोई यथार्थ नहीं है। इस एकांकी में डॉ.कौशिक एक वैज्ञानिक है जो एक ऐसा रसायन बनाने में कामयाब हो जाते है जो मरे व्यक्ति को फिर से जिन्दा कर सकता है। इसके प्रयोग के लिए वो अलग अलग ४ परिवारों से मिलते है उसमे एक परिवार ऐसा मिलता है जहाँ उनके पिता की मृत्यु से पूरा परिवार दुःखी है और जब वह डॉ. कौशिक की बात सुनते है तब उसका बड़ा लड़का कहता है की हमपर जो गुजरी है हम उसे झेल लेंगे और उन्हें वह वहाँ से भगा देता है। अर्थात कोई नहीं चाहता की पिता दुबारा जिन्दा हो क्योंकी पिता सब काम निपटा के गए है, अब उनकी किसी को जरूरत नहीं है।
अर्थात इस एकांकी में यही बताने की कोशिश की गई है। की रिश्ते नाते बस फायदा देखते हैं।