जिन देशों में चुनाव होते हैं वह लोकतांत्रिक होते हैं कैसे
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चुनाव में लोगों की भागीदारी के तीन विशिष्ट पहलू रहे हैं. एक तो यह कि जहाँ दुनिया भर के चुनाव में लोगों की हिस्सेदारी घटती गई है वहीं भारत में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है या काफी ऊँचे स्तर पर टिका हुआ है.
दूसरे यहाँ विभिन्न स्तर की लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों की दिलचस्पी सत्ता के हिसाब से घटती नहीं है.
यहां संसद से ज़्यादा दिलचस्पी विधानसभा और विधानसभा से ज्यादा दिलचस्पी मंत्रालय और स्थानीय निकायों के चुनावों में रही है.
तीसरे भारत में गरीब और कमज़ोर लोगों की लोकतंत्र में आस्था औरों से कम नहीं है जबकि अमरीका, अफ्रीका और यूरोप के देशों में बेघर और जातीय अल्पसंख्यकों की भागीदारी चुनाव में बहुत कम होती है.
हमारे यहाँ तो सामाजिक, आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की भागीदारी सामान्य से ऊपर ही होती है. यहाँ ऊँची जाति के हिंदू की तुलना में दलित और अल्पसंख्यक मतदाता ज़्यादा मुस्तैदी से वोट देते हैं.
पिछले करीब 15 वर्षों से भारतीय लोकतंत्र में पिछड़ों, गरीबों और कमज़ोरों की भागीदारी क्रांतिकारी ढंग से उभरी है.
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