जैन धर्म के त्रिरत्न क्या थे?
Answers
Answered by
5
Explanation:
=> त्रिरत्न एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- तीन रत्न।
पालि भाषा में इसे ति-रतन लिखा जाता है। इसे त्रिद्द या त्रिगुण शरण भी करते हैं, जो बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म के तीन घटक हैं।
जैन धर्म के त्रिरत्न – सम्यक ज्ञान , सम्यक दर्शन , सम्यक आचरण।
=> सम्यक ज्ञान – सत्य तथा असत्य का ज्ञान ही सम्यक ज्ञान है।
=> सम्यक दर्शन – यथार्थ ज्ञान के पर्ति श्रद्धा ही सम्यक दर्शन है।
=> सम्यक चरित्र (आचरण) – अहितकर कार्यों का निषेध तथा हितकारी कार्यों का आचरण ही सम्यक चरित्र है ।....
I hope it's helpful to you...
Similar questions