जैन धर्म मे इन्द्रियों को क्या कहते है
Answers
Answer:
इन्द्रिय
जिससे संसारी जीव की पहचान होती है, उसे इन्द्रिय कहते हैं !
इंद्रियों के 5 भेद होते हैं :-
1 - स्पर्शन (Sense of touch)
2 - रसना (Sense of taste)
3 - घ्राण (Sense of smelling)
4 - चक्षु (Sense of seeing)
5 - कर्ण/श्रोत्र (Sense of hearing) ...
इन इंद्रियों का विकास क्रम से होता है, अक्रमिक नहीं, याने , जिस जीव के चक्षु इन्द्रि होगी तो उस जीव के स्पर्शन,रसना और घ्राण इंद्रियां भी होंगी !
ऐसा कोई प्राणी नहीं, जिसके बाद की इंद्रियां हों और पहले की न हों !
पञ्च-इंद्रियां
1 - स्पर्शन (Sense of touch) - जिसके द्वारा ठंडा-गर्म, हल्का-भारी और रूखे-चिकने विषयों का ज्ञान हों उसे स्पर्शनिन्द्रिया (Skin/Entire Body) कहते हैं !
- स्पर्शन इन्द्रिय का उपयोग है छूना !
जैसे :- स्पर्शन इन्द्रिय से हमे पता चला कि बर्फ-ठंडी, अग्नि-गरम, बिस्तर-नर्म, रुई-हल्की, लोहा-भारी है !
2 - रसना (Sense of taste) - जिसके द्वारा खट्टे-मीठे, कड़वे, कसैले और चिरपिरे विषयों का ज्ञान होता है उसे रसनेन्द्रिय(Jeebh/Tongue) कहते हैं !
- रसना इन्द्रिय का उपयोग है चखना !
जैसे :- रसना इन्द्रिय से पता चलता है कि इमली-खट्टी, चीनी-मीठी, आंवला-कसैला, मिर्च-चिरपिरि और करेला-कड़वा है !
3 - घ्राण (Sense of smelling) - जिसके द्वारा सुगंध और दुर्गन्ध विषयों का बोध हों है उसे घ्राणेन्द्रिय(Nose/naasika) कहते हैं !
- घ्राण इन्द्रिय का उपयोग है सूँघना !
जैसे :- घ्राण इन्द्रिय से पता चलता है कि गुलाब के फूल में, परफ्यूम में सुगंध होती है और कीचड, विष्ठा में दुर्गन्ध !
4 - चक्षु (Sense of seeing) - जिसके द्वारा काले,पीले,स्वेत इत्यादि रंगो का बोध हों उसे चक्षुरिन्द्रिय कहते हैं !
- चक्षु इन्द्रिय का उपयोग है देखना !
जैसे :- चक्षु इन्द्रिय से देखा कि कोयला-काला, सोना-पीला, चांदी-श्वेत और आसमान नीला है !
5 - कर्ण/श्रोत्र (Sense of hearing) - जिसके द्वारा शब्द विषय का बोध हो,आवाज़ सुनी जा सके, उसे कर्णेन्द्रिय कहते हैं !
- कर्ण इन्द्रिय का उपयोग है सुनना !
जैसे :- कर्ण इन्द्रिय से सुना गाना, बादलों का गरजना, पक्षियों का चहचहाना इत्यादि !