जीन विनिमय किस विभाजन में कब होता है?
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गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं।
जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन शब्द जोहनसन ने 1909 में दिया
जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है।
अर्धसूत्रीविभाजन ऋणात्मक विभाजन की एक प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक कोशिका में मौजूद क्रोमोसोमों की संख्या आधी हो जाती है। पशुओं में अर्धसूत्रीविभाजन हमेशा युग्मकों के निर्माण में परिणीत होता है, जबकि अन्य जीवों में इससे बीजाणु उत्पन्न हो सकते हैं। सूत्रीविभाजन की तरह ही, अर्धसूत्रीविभाजन के शुरू होने के पहले मौलिक कोशिका का डीएनए कोशिका-चक्र के S-प्रावस्था में दोहरा हो जाता है। दो कोशिका विभाजनों द्वारा ये दोहरे क्रोमोसोम चार अगुणित युग्मकों या बीजाणुओं में बंट जाते हैं।