जिनकी रख्या तूं करें ते उबरे करतार", इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
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"जिनकी रक्षा तूं करे, ते उबरे करतार।
जे तैं छाडे हाथ तैं, ते डूबे संसार।"
Explanation:
यह साखी के रूप में विनती का भाव है जो श्री दादू दयाल महाराज अपने प्रभु से कह रहे है,
सभी संतो ने संसार को माया और दुःख का मूल माना है, और उसी परिप्रेक्ष्य में दादू जी विनती कर रहे की जिसका मन प्रभु भक्ति से जुड़ा रहता जो समाज में रहते हुए भी सत्कर्म करता है, भगवान उन्हें इस भवसागर से पर करा देते, पर जिसका साथ भगवान से छूट जाता है, वह इस मोह माया में डूब जाता है
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