जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच
बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है। किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं
देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है।
क - गधे के विषय में लेखक किस अनिश्चय की स्थिति में है और क्यों ? ख - गधे की कौन सी विशेषताएँ उसे अन्य पशुओं से अलग करती है । ग - गाय और कुत्ता गधे से कैसे भिन्न है ?
Answers
गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित है-
Explanation:
(क) गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है। गधे के विषय में लेखक के मन में यही अनिश्चय की स्थिति है।
(ख) लेखक का कहना है कि गधे के सामने चाहे जैसी भी खराब या सड़ी हुयी घास डाल दो, या इस बेचारे को कितना भी मारो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी नहीं दिखाई देती। गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, और न ही देखा।
अतः गधे की यही विशेषताएँ उसे अन्य पशुओं से अलग करती है।
(ग) गायें सीधी होती हैं परन्तु कभी-कभी अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती हैं और सींग मारने लगती हैं। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है। किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। इस प्रकार गाय और कुत्ता गधे से भिन्न है।
Answer:
Explanation:जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच
बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है। किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं
देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है।