Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

जानवरों और पक्षियों के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी आपके अपने शब्दों में लिखी गई है।word limit 80-100​

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Answered by vanshikavikal448
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प्रेरणा

पशु-पक्षियों के लिए ममता, वात्सल्य और प्यार की देवी हैं गीता रानी

एक मासूम बच्ची दुनिया और दुनियादारी नहीं जानती थी, वह अपनों के प्यार की भूखी थी। उसे जब अपने माँ-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी, दूसरे रिश्तेदारों और इंसानों से प्यार नहीं मिला तो वो पशु-पक्षिओं से प्यार कर बैठी। ये प्यार एक तरफ़ा नहीं था, लड़की को हमेशा प्यार के बदले प्यार मिला। उन्हीं की तरह जानवर और पक्षी भी उनसे बेइंतेहा प्यार करने लगे। एक कुत्ते ने तो उनकी जान बचाते हुए अपनी जान ही दे दी। पशु-पक्षियों के इस निस्वार्थ प्यार के बदले प्यार देने और अपना जीवन पशु-पक्षियों को समर्पित करने वाली गीता रानी की कहानी बहुत ही अनोखी है। यह कहानी एक इंसान को इंसानों से मिली नफ़रत और जानवरों से मिले प्यार की कहानी है। गीता ने पशु-पक्षियों के साथ एक अपना नया जहान बसाया, जिस पर आज दुनिया रश्क करती है।

By Arvind Yadav

Jul 4, 2016

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वैसे तो जानवरों और पक्षियों से इंसान का प्यार कोई नयी बात नहीं है। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते हैं, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। पशु-पक्षियों से इंसान के बेइंतेहा प्यार के कई सारे दिलचस्प किस्से भी हैं, लेकिन गीता रानी का पशु-पक्षियों से प्यार बहुत अनूठा है, बेहद निराला है। वो कई पशु-पक्षियों की देखभाल उनकी “माँ” की तरह करती हैं। उनके पास एक, दो, तीन या फिर दर्जन-भर कुत्ते नहीं, बल्कि तीन सौ से ज्यादा कुत्ते हैं। 75 बिल्लियाँ हैं। चिड़िया, मोर, तोता-मैना, कव्वे उनके घर को अपना घर समझते हैं। दिन-रात, सुबह-शाम, उठते-बैठते गीता सिर्फ और सिर्फ इन्हीं जानवरों और पक्षियों के बारे में सोचती हैं और उन्हीं के लिए काम करती हैं। वे ये कहने से ज़रा-सा भी नहीं झिझकती कि ये सारे जानवर और पक्षी उनके बच्चे हैं और वे इन सब की ‘माँ’हैं । पशु-पक्षियों के प्रति गीता की ममता, उनका प्यार-दुलार, त्याग और वात्सल्य कई लोगों के लिए कल्पना से परे है, लेकिन जीवन में गीता को दुःख और पीड़ा काफी मिली। इंसानों से प्यार नहीं, नफ़रत मिली और यही बड़ी वजह भी रही कि उन्होंने पशु-पक्षियों से प्यार किया, उन्हीं के लिए अपना जीवन भी समर्पित किया। बड़ी बात ये भी है कि पैदाइश से ही इंसानों के प्यार से वंचित रहीं गीता ने होश संभालते ही पशु-पक्षियों में प्यार ढूँढना शुरू कर दिया था।

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