ज्ञान का गेंद कर सुर्त का डंड कर
खेल चौगान-मैदान माँही।
जगत का भरमना छोड़ दे बालके
आय जा भेष-भगवंत पाहीं ।।ka bhavarth Hindi me
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भावार्थ — यह पंक्तियां कबीर दास जी के रचित दोहे से संबंधित हैं। जो कि बहुत दुर्लभ उपलब्ध है।
इन पंक्तियों का अर्थ इस प्रकार होगा। कबीर दास जी कहते हैं कि हे मानव! तू ज्ञान का महत्व समझ ले, तू ज्ञान को गेंद बना और सुर्त यानी स्मरण शक्ति को डंडा बना और उस स्मरण शक्ति रूपी डंडे से ज्ञान रूपी गेंद पर प्रहार कर मैदान रूपी संसार में चारों तरफ मार। अर्थात तू पहले तो ज्ञान के हासिल कर उसे याद कर और फिर अपने ज्ञान को सारे संसार में बिखेर।
तू जगत की मोह माया को छोड़ दे और ज्ञान और परमात्मा की खोज में निकल पड़। पता नही किस भेष में तुझे परमात्मा मिल जायें और तेरा जीवन सफल हो जाये।
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