ज्ञान की पूंजी बढ़ाने चाहिए इस विषय पर अपने विचार लिखिए
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ज्ञान मनुष्य की अमूल्य पूँजी है। बचपन से मृत्यु तक मनुष्य विभिन्न स्रोतों से ज्ञान की प्राप्ति करता रहता है। बचपन में उसे अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों, गुरुजनों तथा मिलने-जुलने वालों से ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान का भंडार अथाह है। कुछ ज्ञान हमें स्वाभाविक रूप से मिल जाता है, पर कुछ के लिए हमें स्वयं प्रयास करना पड़ता है। ज्ञान किसी एक की धरोहर नहीं है। ज्ञान हमारे चारों तरफ बिखरा पड़ा है। उसे देखने की दृष्टि की जरूरत होती है। संतों, महात्माओं तथा मनुष्यों के व्याख्या, हितोपदेशों, नीतिकथाओं, बोधकथाओं तथा विभिन्न धर्मों के महान ग्रंथों में ज्ञान का भंडार है। हर मनुष्य अपनी क्षमता और आवश्यकता के अनुसार अपने ज्ञान की पूँजी में वृद्धि करता रहता है। भगवान महावीर, बुद्ध तथा महात्मा गांधी जैसे महापुरुष अपने ज्ञान की पूँजी तथा अपने कार्यों के बल पर जनसामान्य के पूज्य बन गए हैं। इसलिए मनुष्य को सदा अपने ज्ञान की पूँजी बढ़ाते रहना चाहिए।
हमें भी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अंग्रेजी में एक विचार है- हर रोज सीखने की प्रगति होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका दैनिक दिनचर्या क्या है- चाहे आप छात्र हों, पूर्णकालिक कर्मचारी हों या घर पर रहें, आप हर दिन कुछ नया सीखने के लिए बाध्य हैं।
हमें हमेशा अपने ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए-
सीखना और ज्ञान बढ़ाना आपको अधिक उत्पादक व्यक्ति बनने में मदद कर सकता है। यह आपको विभिन्न विचारों को स्वीकार करने के लिए लचीला भी बनाएगा। यह हमारे मस्तिष्क को रिचार्ज करता है, हम अप टू डेट रहेंगे। यह हमें मनोभ्रंश से लड़ने में मदद करेगा। रोजाना सीखने और अपने ज्ञान को बढ़ाने से हमारी याददाश्त में भी सुधार होता है।
हमें अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए- समाचार पत्र, कॉलम, लेख पढ़ना चाहिए, समाचार, गाने सुनना चाहिए, हमें सामाजिककरण की भी आवश्यकता है।
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