Hindi, asked by shreyaa5577, 6 months ago

ज्ञान का दीपक कैसे जलाया जा सकता है
Dwaraka Prasad Maheshwari ki Kavita
utho Dhara ke Amar saputo​

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Answered by theroyalqueen93
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Answer:

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Explanation:

उठो धरा के अमर सपूतो

पुनः नया निर्माण करो।

जन-जन के जीवन में फिर से

नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

नया प्रात है, नई बात है,

नई किरण है, ज्योति नई।

नई उमंगें, नई तरंगे,

नई आस है, साँस नई।

युग-युग के मुरझे सुमनों में,

नई-नई मुसकान भरो।

डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ

नए स्वरों में गाते हैं।

गुन-गुन-गुन-गुन करते भौंरे

मस्त हुए मँडराते हैं।

नवयुग की नूतन वीणा में

नया राग, नवगान भरो।

कली-कली खिल रही इधर

वह फूल-फूल मुस्काया है।

धरती माँ की आज हो रही

नई सुनहरी काया है।

नूतन मंगलमय ध्वनियों से

गुंजित जग-उद्यान करो।

सरस्वती का पावन मंदिर

यह संपत्ति तुम्हारी है।

तुम में से हर बालक इसका

रक्षक और पुजारी है।

शत-शत दीपक जला ज्ञान के

नवयुग का आह्वान करो।

उठो धरा के अमर सपूतो,

पुनः नया निर्माण करो।

~ द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

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