ज्ञान मार्गी और प्रेम मार्गी काव्य धारा में कोई दो अंतर लिखिए
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भक्ती में ज्ञान को महत्त्व देणे वाले ज्ञानमार्गी कहा जाता है .
तथा प्रेम को महत्त्व देणे वाले प्रेममार्गी कहा जाता है .
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ज्ञान मार्गी और प्रेम मार्गी काव्य धारा में कोई दो अंतर लिखिए।
ज्ञानमार्गी काव्य धारा और प्रेममार्गी काव्य धारा भक्तिकाल के निर्गुण काव्यधारा की दो उपशाखायें हैं। इन दोनों शाखाओं के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार हैं।
- ज्ञानमार्गी काव्य धारा के अंतर्गत आने वाले कवियों ने ईश्वर को जानने और समझने का रास्ता ज्ञान को चुना और उन्होंने काव्य की साधना की और काव्य की साधना के द्वारा ईश्वर को जानने समझने का प्रयास किया। प्रेम मार्गी काव्य धारा पर चलने वाले कविओं उन्हें प्रेम के माध्यम से ही ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता चुना। उन्होंने ईश्वर के प्रति प्रेम पर आधारित काव्य की रचना की।
- ज्ञानमार्गी शाखा ज्ञानमार्गी काव्य धारा के प्रमुख कवियों ने नैतिक शिक्षा और ज्ञान पर आधारित का काव्य की रचना की जिसके माध्यम से उन्होंने समाज की कुरीतियों और पाखंड पर तीखे प्रहार किए तथा लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। इस काव्य धारा के प्रमुख कवियों में कबीर दास रैदास गुरु नानक जैसे कभी प्रमुख हैं प्रेम मार्गी शाखा के पालन करने वाले कवियों ने ईश्वर के प्रति प्रेम भाव प्रकट किया और उन्होंने ईश्वर को ही ईश्वर के प्रति प्रेम का ही इसका आधार बनाया। काव्य धारा के प्रमुख कवियों में मलिक मोहम्मद जायसी, रहीम, नसीर जैसे प्रमुख कवि हैं। यह काव्य धारा अधिकतर सूफी काव्य धारा से संबंध रही।
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राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
तुलसी भीतर बाहिरेहुँ जो चाहसि उजियार।।
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