ज्ञान पर भक्ति की श्रेष्ठता सूरदास की किस
रचना में अंकित
है?
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ज्ञान पर भक्ति की श्रेष्ठता सूरदास के ‘सूरसागर’ नामक ग्रंथ में दर्शाई गई हैय़ सूरसागर नामक ग्रंथ में भ्रमरगीत प्रसंग के अंतर्गत सूरदास ने ज्ञान पर भक्ति की श्रेष्ठता दर्शाया है।
भ्रमरगीत प्रसंग में जब श्री कृष्ण अपने प्रतिनिधि उद्धव को गोपियों के पास योग एवं साधना का संदेश देकर भेजते हैं तो उद्धव उन्हें कृष्ण के प्रति मोह त्यागकर योग एवं साधना के द्वारा मन को एकाग्र करने का संदेश देते हैं, लेकिन कृष्ण के प्रेम में डूबी हुई गोपियां उद्धव को ताने-उलहाने देखकर निरुत्तर कर देती हैं और अपने तर्कों द्वारा कृष्ण के प्रेम को श्रेष्ठ सिद्ध कर देती हैं।
उद्धव के मुँह से योग और साधना का संदेश सुनकर गोपियां कृष्ण की विरह वेदना से प्रेरित पीड़ित गोपियां को बड़ी निराशा होती है वह उद्धव को ताने उलहाने देते हुए कहती हैं कि अपनी यह योग-साधना का संदेश प्रेम रस में डूबी हम गोपियों को मत सुनाओ। योग साधना की जरूरत उन्हें होती है जो प्रेम पथ पर चलने योग्य नहीं होते। हमने तो कृष्ण के प्रेम का मार्ग चुनकर स्वयं को समर्पित कर दिया है इस तरह गोपियों ने योग और ज्ञान पर प्रेम और भक्ति की विजय करवाई।
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