ज्ञान सृजन की प्रक्रिया के विषय में संक्षिप्त विवेचना करें।
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उत्तर:ज्ञान उसे कहते हैं जो इंसान के मन को प्रकाशित करता है। ज्ञान व्यवहारिक प्राप्ति तथा कामयाबी का दूसरा नाम है। ज्ञान ही शक्ति है। ज्ञान एक अवधारणा या सत्य के अलावा और कुछ नहीं है जिसकी सार्वभौमिक अपील है जिस तरह से यह दुनिया भर में मौजूद है, इसमें मौजूदा अवधारणाओं को करने या लाने की एक जिम्मेदारी है।
व्याख्या:
जन्म के तुरंत पश्चात् से जिन क्रियाओं में वह लगा रहता है उनके माध्यम से उसमें ज्ञान प्राप्ति की योग्यता होती है। बच्चे अपनी बाहरी दुनिया या वातावरण से अन्योन्यक्रिया करते हैं और विभिन्न घटनाओं के साथ अनुक्रिया के द्वारा ज्ञान की रचना करते हैं।ज्ञान के निर्माण का आशय सूचनाओं का प्रबन्धन, संगठन एवं पुनःप्राप्ति की प्रक्रिया से है जिसमें विज्ञान, तकनीकी, दर्शन एवं सामाजिक व्यवस्थाओं से सम्बन्धित तथ्यों को सरलीकृत रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया में शिक्षक, शिक्षालय एवं शिक्षार्थी तीनों को ही है|ज्ञान लोगों के भौतिक तथा बौद्धिक सामाजिक क्रियाकलाप की उपज, संकेतों के रूप में जगत के वस्तुनिष्ठ गुणों और संबंधों, प्राकृतिक और मानवीय तत्त्वों के बारे में विचारों की अभिव्यक्ति है।"
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व्याख्या:
जन्म के तुरंत पश्चात् से जिन क्रियाओं में वह लगा रहता है उनके माध्यम से उसमें ज्ञान प्राप्ति की योग्यता होती है। बच्चे अपनी बाहरी दुनिया या वातावरण से अन्योन्यक्रिया करते हैं और विभिन्न घटनाओं के साथ अनुक्रिया के द्वारा ज्ञान की रचना करते हैं।ज्ञान के निर्माण का आशय सूचनाओं का प्रबन्धन, संगठन एवं पुनःप्राप्ति की प्रक्रिया से है जिसमें विज्ञान, तकनीकी, दर्शन एवं सामाजिक व्यवस्थाओं से सम्बन्धित तथ्यों को सरलीकृत रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया में शिक्षक, शिक्षालय एवं शिक्षार्थी तीनों को ही है|ज्ञान लोगों के भौतिक तथा बौद्धिक सामाजिक क्रियाकलाप की उपज, संकेतों के रूप में जगत के वस्तुनिष्ठ गुणों और संबंधों, प्राकृतिक और मानवीय तत्त्वों के बारे में विचारों की अभिव्यक्ति है।"
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